कुछ आस, कुछ निरास,
कुछ बुझी, बुझी सी प्यास,
कुछ विश्वासों के ढहने की टीस,
कुछ, न मिल पाने की खीज।
कुछ खुशबू, कुछ काटे
कुछ दूसरो से मिले, कुछ अपनों ने भी बांटे।
कुछ मेरी, कुछ तेरी कहानी
कुछ खरा - खारा सा पानी।
एक अनमने, मासूम बच्चे से दिल की
जीवन से आपाधापी।
मेरी कविता, मेरा परिचय,
मेरी आपबीती।
मेरी कविता, मेरा परिचय,
मेरी आपबीती।
Saturday, August 10, 2013
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अपनी कहती, अपने मन की..
ReplyDeleteसहज कविता, सुंदर आपबीती ...
ReplyDeleteसच...हमारे शब्द हमारी पहचान बता देते हैं अक्सर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सहज अभिव्यक्ति...
बधाई.
अनु