"

Save Humanity to Save Earth" - Read More Here


Protected by Copyscape Online Plagiarism Test

Saturday, August 10, 2013

मेरी कविता, मेरा परिचय.

कुछ आस, कुछ निरास,
कुछ बुझी, बुझी सी प्यास,
कुछ विश्वासों के ढहने की टीस,
कुछ, न मिल पाने की खीज।
कुछ खुशबू, कुछ काटे
कुछ दूसरो से मिले, कुछ अपनों ने भी बांटे।
कुछ मेरी, कुछ तेरी कहानी
कुछ खरा - खारा सा पानी।
एक अनमने, मासूम बच्चे से दिल की
जीवन से आपाधापी।
मेरी कविता, मेरा परिचय,
मेरी आपबीती।

मेरी कविता, मेरा परिचय,
मेरी आपबीती।

3 comments:

  1. अपनी कहती, अपने मन की..

    ReplyDelete
  2. सहज कविता, सुंदर आपबीती ...

    ReplyDelete
  3. सच...हमारे शब्द हमारी पहचान बता देते हैं अक्सर...
    बहुत सुन्दर सहज अभिव्यक्ति...

    बधाई.

    अनु

    ReplyDelete

Do leave your mark here! Love you all!