जो लिखे नहीं, खाली रह जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं.
आंधीया तो गुजरी हैं, मेरे भी घर से.
कुछ चिराग हैं, फिर भी जले रह जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........
मैने तो कुछ पन्ने सिर्फ काले किये.
वो खुदा ही हैं, जो कुछ कह जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........
बड़ी मुद्दत के बाद ये यकीं हुआ हैं.
पराये शहर में, अपने भी मिल जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........
यु ही फिर, जिन्दंगी की किताब पूरी होती जाती हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं.
यु ही फिर, जिन्दंगी की किताब पूरी होती जाती हैं.
कुछ पन्ने लेकिन गुलाब रख, खाली भी छोड़े जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........
और शब्दों में तुम किताबो के मायने देख, चुक न जाना.
तथागत, गंध अपनी, कोरे पन्ने पे छोड़ जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते........
तुझसे इश्क करू या रंजो गम करू ए जिन्दंगी.
कुछ रिश्ते, अजनबी बन भी निभाए जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं.
जो लिखे नहीं, खाली रह जाते हैं.
वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं....
आज इतना ही.
राहुल
wah
ReplyDeleteवक्त के पन्नों की आवाज बड़ी मध्यम होती है..
ReplyDeletewaah bahut sundar .....bahut badhiya likhte hain aap to ..........
ReplyDeleteThanks @Poonam ji, Pravin Bhai and @Ranjana ji!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना ...
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