********समुंद समाना बूंद में.****************
बड़े गहरे अर्थ छुपे,छोटी छोटी बातों में.
दूर गगन के तारें दिखते, काली-गहरी रातों में.
बड़े गहरे अर्थ छुपे,छोटी छोटी बातों में.....
कौन कहता, कुछ नया.
क्या रहा कुछ अनकहा?
मतलब वही, सिर्फ शब्द नया.
बात सुनने की हैं, गुनने की हैं.
और मौन में मथने की हैं.
जिन्दंगी का ग़र समझा तो,
चुटकुले पे हँसने की हैं.
क्या गीता, क्या कुरान?
बहते सब, तेरे ही अहसासों में.
बड़े गहरे से अर्थ छुपे,छोटी छोटी बातों में.
दूर गगन के तारें दिखते, काली-गहरी रातों में....
आज इतना ही.
प्यार.
राहुल.
और तारों में छिपे हैं, न जाने कितने रहस्य विधानकर्ता के।
ReplyDeleteकल 11/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बिल्कुल सही कहा…………सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeletesaty hai , sahamat
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा ..आपने इस रचना में आभार ।
ReplyDeleteआशा का संचार करती सुन्दर रचना| धन्यवाद|
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