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Monday, August 15, 2011

एक छोटी से चिट्ठी, जन लोकपाल आन्दोलन के नाम.

अन्ना और हमें चाहिए की अब बात लोकपाल से आगे हो. अब हर मुद्दे पर बात चाहिए. अब बस थोपना बर्दाश्त नहीं. अब मूढो को वोट नहीं करेंगे. अब धन सग्रहण की असाध्य बीमारी से लकवाग्रस्त लोगो को नहीं झेलेंगे. हमें एक बेहतर आज और कल चाहिए.

और मूढो को ठीक से देखिये, एक भय और एक चिडचिडापण पैदा हो रहा हैं. एक डर हैं, साफ हैं अपना किया कराया दिख रहा हैं. और यह भी दिख रहा हैं कि आवाम अब पोपली बातों कि राजनीती से नहीं बरगलने वाली नहीं हैं. अब एक इंटिग्रिटी चाहिए, एक संवाद चाहिए और एक दिशा चाहिए.

मुझे डर हैं गर अन्ना और उनसे ज्यादा ये हुक्मरान इस अवसर को एक किसी मुद्दे पर लाकर उसे कोई नया आयाम न दे दे. अन्ना, केजरीवाल जी,किरण जी और हमें चाहिए कि, इस अवसर को एक गहन और तीव्र संवाद में बदले और २०१५ प्लान तैयार करे. यह एक निर्णायक पल हैं, वरना इस देश कि आबादी इस देश कि GDP को तो बड़ा देगी लेकिन Happiness Index और एक पूर्ण सामाजिक किओस से नहीं बचा पाएंगी. इतना विशाल आवाम नेतृत्व विहीनता बर्दाशत नहीं कर पायेगे. USSR कि तरह हश्र होने में कोई देर नहीं लगेगी.

अवसर हमारी और देख रहा हैं.

"---एक सामान्य - गवार भारतीय"
जिसे आज भी "ऐ मेरे वतन के लोगो" सुनकर न सिर्फ आंसू गिरते हैं, वरन रोंगेटे खड़े हो जाते हैं.

15 comments:

  1. राहुल जी

    आपने बहुत सही कहा है … अब और आगे सोचे जाने की आवश्यकता है ।
    उपयोगी और ठोस विचारों के लिए हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !


    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. बहुत सटीक सोच है...बधाई

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  3. यथार्थ दर्शाती प्रेरक प्रस्तुति

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  4. thank u sir for visiting my blog and giving the opportunity to land here.

    the points u have expressed here are valid and I fully agree with u in this regard.

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  5. bahut achha likhte hain aap... kripya lock hata den

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  6. सुंदर और सार्थक पोस्ट राहुल जी बधाई और शुभकामनाएं

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  7. इस अवसर को एक गहन और तीव्र संवाद में बदले और २०१५ प्लान तैयार करे. यह एक निर्णायक पल हैं,

    आपकी इस बात से सहमत हूं. बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने.......

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  8. महत्वपूर्ण विषय उठाया है आपने.

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  9. bahut badhiya likha hai aapne ,aabhari hoon aane ke liye .

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  10. vichar ya chinta???? ek bharteey chintit hai ye uski nhi hr bhaarteey kee chinta hai.ishwar kre desh ko sb mile jo ve chahte hain ek saaf sutharaa bharat. deshwassee jaage hain........yh bhi km nhi ki...........jaage to aur Anna ke saath ho liye.srkaar ko jhukna pdega. aapke vicharon se sahmat hun aur ........achchha lga ek bharteey kii soch pdh kr.
    yh bhii is kranti me ek sahyog hai.

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  11. एक सामान्य - गवार भारतीय"
    जिसे आज भी "ऐ मेरे वतन के लोगो" सुनकर न सिर्फ आंसू गिरते हैं, वरन रोंगेटे खड़े हो जाते हैं.

    जय हिंद ....!!

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  12. यह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !

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  13. आह! आपके दिल की बात तो दिल को ही लगी.

    मेरे ब्लॉग पर आप आये,इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.

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