अन्ना और हमें चाहिए की अब बात लोकपाल से आगे हो. अब हर मुद्दे पर बात चाहिए. अब बस थोपना बर्दाश्त नहीं. अब मूढो को वोट नहीं करेंगे. अब धन सग्रहण की असाध्य बीमारी से लकवाग्रस्त लोगो को नहीं झेलेंगे. हमें एक बेहतर आज और कल चाहिए.
और मूढो को ठीक से देखिये, एक भय और एक चिडचिडापण पैदा हो रहा हैं. एक डर हैं, साफ हैं अपना किया कराया दिख रहा हैं. और यह भी दिख रहा हैं कि आवाम अब पोपली बातों कि राजनीती से नहीं बरगलने वाली नहीं हैं. अब एक इंटिग्रिटी चाहिए, एक संवाद चाहिए और एक दिशा चाहिए.
मुझे डर हैं गर अन्ना और उनसे ज्यादा ये हुक्मरान इस अवसर को एक किसी मुद्दे पर लाकर उसे कोई नया आयाम न दे दे. अन्ना, केजरीवाल जी,किरण जी और हमें चाहिए कि, इस अवसर को एक गहन और तीव्र संवाद में बदले और २०१५ प्लान तैयार करे. यह एक निर्णायक पल हैं, वरना इस देश कि आबादी इस देश कि GDP को तो बड़ा देगी लेकिन Happiness Index और एक पूर्ण सामाजिक किओस से नहीं बचा पाएंगी. इतना विशाल आवाम नेतृत्व विहीनता बर्दाशत नहीं कर पायेगे. USSR कि तरह हश्र होने में कोई देर नहीं लगेगी.
अवसर हमारी और देख रहा हैं.
"---एक सामान्य - गवार भारतीय"
जिसे आज भी "ऐ मेरे वतन के लोगो" सुनकर न सिर्फ आंसू गिरते हैं, वरन रोंगेटे खड़े हो जाते हैं.
Showing posts with label Next Movement. Show all posts
Showing posts with label Next Movement. Show all posts
Monday, August 15, 2011
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
छोटे छोटे पग ही, दांडी यात्रा बन जाते हैं.
एक एक कर जोड़, सुभाष फौज ले आते हैं.
यूँ ही एक दिन आज़ादी नहीं मिली.
हर बन्दे में आज़ाद-सुभाष सी बात चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
कब तक "चलता हैं" का रवैया अख्तियार कर रहेंगे हम.
कब तक दूसरो को ही दोष देते रहेंगे हम.
भ्रष्ट हैं, लाचार हैं, बोने से व्यक्तित्व हैं.
शिखर पर अब एक सरदार चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
आईने में दिखते बुझे से शख्स को, जिस दिन जवाब दे पाए.
ऐसे ही किसी दिन की शुरुआत चाहिए.
सहमा क्यों हैं, अपने घर से निकल तो सही.
वक्त को तेरी आवाज़ चाहिए.
"मेरे पापा ने एक सुन्दर सा संसार मुझे सौपा हैं."
कर गुजरने का यही वक्त हैं, गर चिता पर बच्चो का ये धन्यवाद चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
बस, एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
आज इतना ही.
प्यार.
राहुल
A Better Human, A Better World!
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
छोटे छोटे पग ही, दांडी यात्रा बन जाते हैं.
एक एक कर जोड़, सुभाष फौज ले आते हैं.
यूँ ही एक दिन आज़ादी नहीं मिली.
हर बन्दे में आज़ाद-सुभाष सी बात चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
कब तक "चलता हैं" का रवैया अख्तियार कर रहेंगे हम.
कब तक दूसरो को ही दोष देते रहेंगे हम.
भ्रष्ट हैं, लाचार हैं, बोने से व्यक्तित्व हैं.
शिखर पर अब एक सरदार चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
आईने में दिखते बुझे से शख्स को, जिस दिन जवाब दे पाए.
ऐसे ही किसी दिन की शुरुआत चाहिए.
सहमा क्यों हैं, अपने घर से निकल तो सही.
वक्त को तेरी आवाज़ चाहिए.
"मेरे पापा ने एक सुन्दर सा संसार मुझे सौपा हैं."
कर गुजरने का यही वक्त हैं, गर चिता पर बच्चो का ये धन्यवाद चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
बस, एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
आज इतना ही.
प्यार.
राहुल
A Better Human, A Better World!
Labels:
Corruption,
Freedom,
Gandhi,
INDIA,
Netaji,
Next Movement,
Small makes big difference,
Subhash
7
comments
Subscribe to:
Posts (Atom)