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Monday, August 15, 2011

एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.

एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.

छोटे छोटे पग ही, दांडी यात्रा बन जाते हैं.
एक एक कर जोड़, सुभाष फौज ले आते हैं.
यूँ ही एक दिन आज़ादी नहीं मिली.
हर बन्दे में आज़ाद-सुभाष सी बात चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.

कब तक "चलता हैं" का रवैया अख्तियार कर रहेंगे हम.
कब तक दूसरो को ही दोष देते रहेंगे हम.
भ्रष्ट हैं, लाचार हैं, बोने से व्यक्तित्व हैं.
शिखर पर अब एक सरदार चाहिए.
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.

आईने में दिखते बुझे से शख्स को, जिस दिन जवाब दे पाए.
ऐसे ही किसी दिन की शुरुआत चाहिए.
सहमा क्यों हैं, अपने घर से निकल तो सही.
वक्त को तेरी आवाज़ चाहिए.
"मेरे पापा ने एक सुन्दर सा संसार मुझे सौपा हैं."
कर गुजरने का यही वक्त हैं, गर चिता पर बच्चो का ये धन्यवाद चाहिए.

एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
बस, एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.

आज इतना ही.
प्यार.
राहुल
A Better Human, A Better World!

7 comments:

  1. सही कहा ..एक शुरुआत चाहिए ...अच्छी अभिव्यक्ति

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  2. एक छोटी सी शुरुवात चाहिए
    कुछ बूंदें तो बरसे अगर बरसात चाहिए |
    वाह बहुत सुन्दर सच कहा दोस्त कोई काम को करने के लिए कदम तो आगे बढाना ही होगा |
    खूबसूरत रचना |

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  3. बहुत ही बढ़िया।
    एक छोटी सी शुरुआत आगे एक वृहद अस्तित्व का रूप लेती है।

    सादर

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  4. क छोटी सी शुरुवात चाहिए
    कुछ बूंदें तो बरसे अगर बरसात चाहिए |

    वाह ..बहुत खूब कहा है ..सुन्‍दर शब्‍दों का संगम ।

    ReplyDelete
  5. छोटे छोटे पग ही, दांडी यात्रा बन जाते हैं.
    एक एक कर जोड़, सुभाष फौज ले आते हैं.
    यूँ ही एक दिन आज़ादी नहीं मिली.
    हर बन्दे में आज़ाद-सुभाष सी बात चाहिए.
    एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
    कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
    bahut sundar rachna ,padhkar maja aa gaya .

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