"

Save Humanity to Save Earth" - Read More Here


Protected by Copyscape Online Plagiarism Test

Thursday, May 10, 2012

कुछ कहना चाहता हूँ....

इससे पहले की मैं ग़ुम हो जाऊ.
दूर कही अस्मां में खो जाऊ.
खट्टी मीठी यांदे बन जाऊ.
और अकेले में रुला जाऊ.
इससे पहले कि राख हो जाऊ.
मिटटी में मिल खाक हो जाऊ.
इससे पहले कि अहसास बन जाऊ.
उन लम्हों कि साँस बन जाऊ.
इससे पहले कि कोई छीन ले.
इससे पहले कि यम मुझे भी गिन ले.
इससे पहले कि आंसू बन जाऊ.
खारा पानी बन ढल जाऊ.
इससे पहले कि कहानी बन जाऊ.
किस्सों बातो में याद आऊ..

कुछ कहना चाहता हूँ.
कह नहीं पाता हूँ.
शब्द औकात पर आ जाते हैं.
कम पड़ जाते हैं.
आंसुओ से काम चलाता हूँ.
बाहर मुस्करा के, भीतर कसक दबाता हूँ.
मेरी बेरुखी पर मत जाना, वक्त ने दी हैं.
अन्दर से वही हूँ, बस चमड़ी सख्त कर दी हैं.
और माफ़ी मांगता हूँ उन पलो कि लिए,
जीवन की आपा धापी में तुम्हे जो दे नहीं पाया.
और आज कहना चाहता हूँ, जो कह नहीं पाया.
उन सभी से जिन्होंने, दिया हैं प्यार मुझे.
अनजाने ही बिना कोई गणना किये...
कुछ बहुत दूर चले गए.
असमा मे तारे बन गए.
भीनी सी जिनकी सुगंध अभी भी आती हैं.
कुछ मेरे आस पास हैं.
जीवन का अहसास हैं.
ये कोई मोल  नहीं करते हैं.
क्या मिलेगा, तोल नहीं करते हैं.
निराश जब होता हूँ, तथाकतिथ इंसानों से जब,
खुदा से भी भरोसा उठ जाता हैं.
जीने की वजह, बेटी का चेहरा बन आता हैं.
सभी से, हा इन सभी से.
कहने दो आज मुझे.
कि मै भी उन्हें याद करता हूँ
अकेले मे अक्सर रो भी लेता हूँ.
नम आँखों से कहता हूँ,
मै भी तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ.
नम आँखों से कहता हूँ,....मै भी तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ..

5 comments:

  1. शब्द बहुधा भावों को ढोने में असमर्थ सिद्ध होते हैं।

    ReplyDelete
  2. मै तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ.

    नम आँखों से कहता हूँ,....मै तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ..

    bahut hi acchi kavita ban padi hai ..likhte rahiye

    http://blondmedia.blogspot.in/

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

    ReplyDelete
  4. बहुत आसान शब्दों से बनी एक भावपूर्ण रचना |

    -आकाश

    ReplyDelete
  5. bahut hi khubsurat rachna....dil ko chhu gai ek ek shabd....aabhar..

    ReplyDelete

Do leave your mark here! Love you all!