सोच रहा हू, क्या बात की जाये.
चलो, एक छोटी सी मुलाकात की जाये.
खूब जमेगा रंग
बैठेंगे जब हम-तुम संग.
बाते जुबां से नहीं, दिल से निकले
ऐसे कुछ हालात किये जाये.
चलो, एक छोटी सी मुलाकात की जाये.
सोच रहा हू..............
कुछ तू तेरी सुनाना,
कुछ धुन में मेरी गुनगुनाऊंगा
काँटों से उलझ चुके बहुत,
आज फूलों की बात की जाये.
चलो, एक छोटी सी मुलाकात की जाये.
सोच रहा हू..............
कभी कुछ टीस सी उठेगी दिल में.
कभी आंखे चमक जाएँगी.
जो किया कभी उसकी ख़ुशी,
जो न कर पाए वो बाते रुलायेंगी.
आंसू, शब्द, यांदो से,
हर रुकी चीज बह जाएँगी.
और जब हम तुम हो जायेंगे, पैमाने से खाली,
तेरी-मेरी जीवन मधुशाला में, आनंद-मदिरा बरसात की जाये.
चलो, एक छोटी सी मुलाकात की जाये.
सोच रहा हू..............
जाने कब से था तेरा इंतजार.
अब ग़र फिर बिछड़ा तू, जाने फिर कब मिलेगा.
आज ग़र मिल ही गया हैं तू तो.
जी भर के बात की जाये.
आज यही रात की जाये.
चलो, एक छोटी सी मुलाकात की जाये.
सोच रहा हू..............
अब फिर बिछड़े तो,
मिलने का झूठा वादा न करेंगे.
इतनी बड़ी ये दुनिया तो नहीं,
कि फिर न मुलाकात करेंगे.
तेरी-मेरी पगडंडिया, राह में ना टकराए तो,
आंसू ना बहाना दोस्त, मंजिल पर ही मुलाकात कि जाये.
तेरी-मेरी जीवन-बूंदों के किस्से खूब सुन लिए,
अब सागर से बात कि जाये.
चलो, एक छोटी सी मुलाकात की जाये.
मन का बुलबुला सोचे, सागर से औकात कि जाये.
सोच रहा हू, क्या बात की जाये....
सोच रहा हू, क्या बात की जाये.......
क्या बात की जाये
बात की जाये
की जाये
जाये
.
अब मैं कहा.
अब बस सागर ही हैं.
आज इतना ही.
प्यार
राहुल.
Thanks Sanjay. Just visited your blog, would Love to visit there in future too.
ReplyDeletebahut khubsurat likha hain....just plain thoughts but wonderfully chosen words and expressions...good to know about different facet of your life :)
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