एक पल में जिन्दगी बदलने की ताकत होती हैं. हमारी जिन्दगी अगले पलो में कैसी होगी, चलिए देखते हैं... जिन्दगी का ड्रामा अनवरत गतिमान हैं...
कहते हैं जिन्दगी में कही कोई मंजील नहीं हैं, वरन जिन्दंगी सफ़र का नाम हैं. सुना यह भी हैं कि भगवान जिंदगी रहते, इसीलिए कभी किसी को नहीं मिलता, क्योकि मिल जाये तो फिर क्या? फिर अगले पल का क्या उपयोग? रविंद्रनाथ ने इस पर बहुत खुबसूरत लिखा हैं, बन्दे कि नेक नियत से खुश हो ईश्वर ने उसे अपने पास बुलाया. वो पहुच भी गया द्वार तक, पर दस्तक देने से पहले सिहर गया. पूरी उम्र जिसकी चाहत में गुजरी, वो मिल जाये, फिर क्या? वो लौट आया, और अवाम से वहा पहुचने का रास्ता बताने लगा. शायद बुद्ध भी इसीलिए आये.
शायद इसीलिए कहते की समाधि और ध्यान एक शाश्वत अ-समय और अ-स्थान अनुभव हैं. उस पल आप ब्रम्हांड से एकाकार हैं. फिर कोई यात्रा नहीं. फिर कोई नया सफ़र नहीं. फिर कोई दर्द नहीं, फिर कोई शायद ख़ुशी भी नहीं.
तो अगर कोई ख्वाहिश बाकि हैं, अगर कोई आरजू दिल में धड़कती हैं, अगर कुछ और पाना हैं, तो फिर जिन्दगी का सफ़र जारी हैं. पिक्चर अभी बाकि हैं मेरे दोस्त...:-)
Love
Rahul