Complete 1 Year gone.
I am sure home minister P Chindmbaram have done enough to prevent any such accident in future. At the same time I can see that not much have changed. We are still making same rag darbari statement to our Pak. Also We as people, are back on our old track.
Behavior of Masses is same. We are again divided into Religion, region, culture.
But there are always few people, who do not care of their life to rebuild lost trust, to protest us. Today is the Day to remember them.
Lets have silence for few moments............
Friday, November 27, 2009
Sunday, October 18, 2009
एक दीप तो जलने दो.
ये जो जिसे कहते है जिन्दंगी,
सबको जीनो दो.
कुछ उम्मीदों को तो पलने दो,
छोटा सा ही सही, एक दीप तो जलने दो.
-दीपो का ये त्यौहार सबके मन के अंधेरो को दूर करे. उम्मीदों का दीप हर एक के मन में प्रज्वलित हो. इन्ही शुभेच्छाओं के साथ.
--राहुल निधि आर्या पालीवाल.--
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एक दीप तो जलने दो.
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Monday, September 28, 2009
आज दशहरा है.
आज मेरी बस्ती में,
फिर एक घटना दोहराई जायेगी.
रावणो की भीड़,
एक अकेले पुतले को जला आएगी.
आज दशहरा है.
वो पुतला पूछता है अगर में रावण हू,
तो एक ही पाप की इतनी बार सजा क्यों?
पर भीड़ सुनती कहा हें,
अपने ही पापो की सजा, पुतले को दे आएगी.
.................रावणो की ये भीड़
एक अकेले पुतले को जला आएगी.
राम और रावण कही बाहर नहीं,
स्वयं मनुष्य के भीतर है.
बाहर तो मनुष्य,
हर दशहरे पर रावण समझ,
पुतला जला आता है,
किन्तु भीतर अन्दर कही,
हर रोज रावण, राम को हरा देता है.
अन्दर ही अब हर मनुष्य में,
हर रोज दशहरा होना चाहिए.
राम की जीत
और भीतर का रावण पराजीत होना चाहिए.
श्रींराम की जीत, और रावण पराजीत होना चाहिए.....
फिर एक घटना दोहराई जायेगी.
रावणो की भीड़,
एक अकेले पुतले को जला आएगी.
आज दशहरा है.
वो पुतला पूछता है अगर में रावण हू,
तो एक ही पाप की इतनी बार सजा क्यों?
पर भीड़ सुनती कहा हें,
अपने ही पापो की सजा, पुतले को दे आएगी.
.................रावणो की ये भीड़
एक अकेले पुतले को जला आएगी.
राम और रावण कही बाहर नहीं,
स्वयं मनुष्य के भीतर है.
बाहर तो मनुष्य,
हर दशहरे पर रावण समझ,
पुतला जला आता है,
किन्तु भीतर अन्दर कही,
हर रोज रावण, राम को हरा देता है.
अन्दर ही अब हर मनुष्य में,
हर रोज दशहरा होना चाहिए.
राम की जीत
और भीतर का रावण पराजीत होना चाहिए.
श्रींराम की जीत, और रावण पराजीत होना चाहिए.....
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Saturday, May 16, 2009
SALAM INDIA..I THINK SALAM BHARAT....WHAT A MANDATE
So Bharat again going in right direction par democracy is Concerned. It has given a clear mandate to A National Party. A much awaited event. Isn't it?
So No Kachara. No Black mailing this time, LEFT them to dustbin. This is seond time after Nehru, when India has chosen Man Mohan Singh as PM second consecutive time.
So Mr. PM, India has now great expectation from you. You know what to do and now you have to act on that. This is going to be your last inning so play all the shots.
All the Best.
Abhi itna hi.
Sunday, May 10, 2009
One more Year gone.
It is my another B day today. Life is moving like anything. " हम सभी दोड़ते चले जा रहे है पर पहुँच कही नहीं रहे है. (We all are running but reaching nowhere) ". But sometimes it feels like the journey itself is more beautiful than the Destination. Its journey which is life all about, isn't it?
Today started the day, and decided will do this, this and that, but end of day found that could not finish anything completely. Don't you think LIFE too is same that way. We start and decide will do this this and that but when we look back, we found that could not do anything which is meaning full and this is how life passes away. In fact passed until.
जगजीतसिंह की गुनगुनायी एक ग़ज़ल याद आ रही है.
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से.
किसको मालूम कहा के है, किधर के हम है.
Nida Fazli’s soulful lyrics...awesome....
Today started the day, and decided will do this, this and that, but end of day found that could not finish anything completely. Don't you think LIFE too is same that way. We start and decide will do this this and that but when we look back, we found that could not do anything which is meaning full and this is how life passes away. In fact passed until.
कहने को कुछ नहीं है खास, वक़्त इस कदर खाली क्यों है.
कर नहीं पाता फुलों और काँटों में भेद, चिंता में बैठा यूँ माली क्यों है.
ये कैसा वक़्त है, ये कैसी राहें है...
दिखता तो है सब कुछ है पास, पर ये उदासी क्यों है.
आखिर ये गहरी उदासी क्यों है?
आज बस इतना ही.
Love
Rahul
Love
Rahul
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MereDilNeKahaBatItniSihain
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