***हममे बसता इंदौर था। *******
कचोरियो की दुकानो से लेकर।
मजनूँ बन गलियो में।
हम भी भटके हैं।
५६ दुकान पर जॉनी के हॉट डॉग।
और सराफे के दही वडे में।
राजमोहल्ला की मृगनयनी में।
हम भी कभी अटके हैं.
अब भटकना नसीब हैं।
लेकिन वो सब नहीं हैं.
जिसके लिए भटका करते थे।
समय की नदी, बहा ले गयी सब।
वो भी एक दौर था।
जब हम नहीं बसते थे ,
हममे बसता इंदौर था।
हममे बसता इंदौर था।
Disclosure: Its poetry. इसमें आए नाम, चरित्र जगह और घटनाएं या तो लेखक को क्लानाए' है या गल्प हैं और इनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति, किसी घटना या स्थान से कोई संबंध नहीं है। :-)
Tuesday, June 9, 2020
Wednesday, June 3, 2020
चुम्बक
लोहे में चुम्बक बनने की क्षमता होती है
सिर्फ अंदर बिखरे कणो को ठीक से जमाना होता है।
हमारी पूरी यात्रा लोहे से चुम्बक बनने की ही है
पृथ्वी से जन्मे हम कैसे पृथ्वी से अलग हो सकते है।
पृथ्वी एक व्यवस्थित चुम्बक ही तो है।
सिर्फ अंदर बिखरे कणो को ठीक से जमाना होता है।
हमारी पूरी यात्रा लोहे से चुम्बक बनने की ही है
पृथ्वी से जन्मे हम कैसे पृथ्वी से अलग हो सकते है।
पृथ्वी एक व्यवस्थित चुम्बक ही तो है।
Subscribe to:
Posts (Atom)