शरीर वा को लुंगी के सहारे ढके हुए
ई शहर का लोग
पहले पता नहीं
किस चीज के पीछे
इधर से उधर
उधर से इधर
भागता ही रहता था
अब पता नहीं काहे
किस चीज से डर कर
घर में ही क़ैदवा है
कोई कहत है
पहले करेंसी था
अब कोरोना है
दोनों ही साला
सुने है
बहुत भयानकवा है
बुधवा थोड़ा चिंतित दिखा
दार्शनिको की तरह
गॉव का निपट गवार है न
लोगो का चिंता तो रहता ही है।