इस देश कि संस्कृति ने श्री-लक्ष्मी के साथ सरस्वती को भी बैठाया. क्या कारण था? क्योकिं लक्ष्मी के साथ सदा अलक्ष्मी भी आती हैं. शायद मेरे देश कि भी आज यही समस्यां हैं. हमारे आँखों के पानी के साथ हमारी सरस्वती भी लुप्त हो गयी. ये नया बरस, सम्वंत २०६७ उस सरसवती को फिर से पुनर्जीवित करे, पुनह वो सरिता आपको शीतलता प्रदान करे, आपको श्री-लक्ष्मी के साथ विद्या, बुद्धि और विवेक मिले, इस दीप के पर्व पर यहीं शुभकामनाएं हैं.
शुभकामनाओ के साथ.
आर्या-राहुल-निधि